Tuesday, December 31, 2013

सिंह द्वार - ज्ञान की गंगोत्री


ये गंगोत्री हैं, जी हाँ आपने सही सुना गंगोत्री, ज्ञान की गंगोत्री, वैसे तो ये बनारस हिंदू  युनिवर्सिटी का सिंह द्वार हैं, पर इसे ज्ञान की गंगोत्री कहना जरा भी अतिशयोक्ति नहीं |

यहाँ पे न जाने कितनी ही बुँदे आई, ज्ञान अर्जित किया, महामना का आशिर्वाद पाया और धाराएं,और नदी बन ज्ञान के महासागर में मिलती गई, देश विदेशो में अपना योगदान करती गई |

अब बताइए क्या सिंह द्वार को ज्ञान की गंगोत्री कहना आपको  अतिशयोक्ति लगा !


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Monday, December 30, 2013

Assi Ghat Varanasi


न जाने कितने सूरज ऊगते हुए देखे यहाँ
चाँद के सफर के भी गवाह रहे
अस्सी से लंबा रिश्ता हैं हमारा


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Tuesday, December 24, 2013

साईकिलए पे मोटर साईकिल का मजा


साईकिलए पे मोटर साईकिल का मजा
ओफ्हो
बिना तेले के उड़त जा रजा
ओफ्हो

(रफीक शादानी की इस्टाइल मा)

Bael Fruit (बेइल फल)



Bael (Aegle marmelos), also known as Bengal quince, Golden apple, Stone apple, Wood apple, bili, is a species of tree native to India.

इस राह अब कोई भीड़ नहीं आती



सड़क पे पड़ी पत्तियां बताती हैं
इस राह अब कोई भीड़ नहीं आती
हवाएं आज भी चलती, टहनियाँ हिलाती
अमौरी तोड़ने अब बच्चे नहीं आते
पुराने लोग कहते हैं, कभी रौनक यहाँ भी थी
आज कोई हैं तो एक भूली हुई काकी


: शशिप्रकाश सैनी 


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Wednesday, December 18, 2013

एक घोसला ऐसा भी


एक घोसला ऐसा भी
घर से बेहतर क्या कोई जगह हो सकती हैं भला !

Tuesday, December 17, 2013

पनघट पे घट, गंगा का तट




पनघट पे घट, गंगा का तट
भरने बुँदे विश्वास की
गर मान सको तो अमृत हैं
प्यास अंतिम उच्छ्वास की 

: शशिप्रकाश सैनी


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सूरज का स्वागत



सूरज का स्वागत, बनारस के घाटों पे गंगा के साथ

Monday, December 2, 2013

नया दिन, नया सूरज


नया दिन 
नया सूरज 
नई आश
रात के निशाना मिटाता
नया अध्याय लिखने को
नया विषय
नया पटल
नया आकाश

: शशिप्रकाश सैनी 


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Wednesday, November 27, 2013

लगत लेट हो गईला स्कूल बदे


लगत लेट हो गईला स्कूल बदे 
तनिक जोर जोर पैडल मारा 

Tuesday, November 26, 2013

बुढिया के बाल (Cotton Candy)



जब देखू बुढिया के बाल
मुह मेरा भी टपकाए लार
बड़प्पन की छोड़ चाल
मैं  दौड़ा चला आता हूँ
बुढिया के बाल पाते ही
मैं बच्चा हो जाता हूँ

: शशिप्रकाश सैनी

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Wednesday, October 30, 2013

BHU में हमारा चाय का ठिकाना



सुबह से बड़ी तलब लगी हैं 
कौन कौन चलेगा चाय पीने

Tuesday, October 22, 2013

गिरजाघर चौराहा बनारस



सडको पे भागती भीड़ दरार नहीं डालती
ये तो मंदिरों मसजिदों में बट जाते हैं लोग

: शशिप्रकाश सैनी 

Monday, October 7, 2013

Crow



लगता हैं कोई आने को हैं, कौआ काव काव कर रहा हैं 

Tuesday, October 1, 2013

गंगा पार चले



शोर शहर को छोड़ आए
अब की उस ओर जाए 
जहाँ ताज़ी बयार चले 
चल गंगा पार चले 

बहोत चले अब तक 
पीछे ही रहे कब तक 
अब न उनकी कतार चले
चल गंगा पार चले 

: शशिप्रकाश सैनी 

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Saturday, September 21, 2013

प्रेम प्रकृति में (BHU Farms)



प्रकृति प्रेम से भरपूर इतनी हैं 
अपनी बात कर 
तेरी देखने की नियत कितनी हैं 
फूलो में दिखे 
पत्तो में भी 
ध्यान से देख
धान भी आलिंगन करते मिले 

: शशिप्रकाश सैनी 

Monday, September 9, 2013

Wednesday, August 28, 2013

श्री कृष्ण जन्माष्टमी मैनेजमेंट हॉस्टल वाली



कान्हा की सुन बासुरी, राधा दौड़ीं आए
प्रेम रहे निर्छल जहाँ, राधा कृष्ण हो जाए

: शशिप्रकाश सैनी


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Monday, August 26, 2013

Youngest tourist in Banaras



नन्हा बालक पीठ पे, देखन आया काशी 
परिधि उम्र भी पीछे रहती, जो पास बुलाए काशी 



Friday, August 9, 2013

बनारस और उसके स्वाद



स्वाद की बात हो और बनारस का जिक्र ना आए ! ये हो सकता हैं भला, चलिए बनारस और उसके स्वादों से आपकी मुलाकात करा देते हैं |


यहाँ स्वाद है, रास्तों का, गलियों का, गंगा का 
घाट का भी और चाट का भी,
कुल मिला के बनारस स्वादों से भरपूर है |


शुरू कहा से करे, 
बनारस हिंदू युनिवर्सिटी के मेन गेट से करते हैं, आखिर यहाँ दो चीजे आपको 24 घंटे मिलेगी
चाय और बन मलाई, सुनने में कुछ खास नहीं लगती,
पर युनिवर्सिटी के स्टुडेंट्स के लिए अमृत से कम नहीं हैं, खास कर देर रात को जब कुछ नहीं मिलता |


अब थोड़ा आगे बढते हैं, अस्सी घाट स्टुडेंट्स का अड्डा हैं
हर शाम यहाँ आपको भीड़ मिलेगी, भौकाल चाट वाले की खूब डिमांड है यहाँ |


चलिए आपको कचौरी गली ले चलते हैं, सुबह आठ से दस बस यही वक्त है इसका, लेट हो गए तो कुछ नहीं मिलेगा | गिनती की तीन दुकाने हैं, पर जो स्वाद आपको यहाँ मिलेगा कही न मिलेगा और इनकी जलेबी का तो क्या कहना |


घड़ी बता रही हैं की दस से उपर हो चला हैं, चलिए केदार घाट चलते हैं |
बस केदार घाट के उपर ही है ये दुकान, श्री राम स्वीट्स
गजब का गजक बनाते हैं, काजू गजक खाने के लिए, कम से कम आपको दो किलोमीटर चलना पडेगा, चाहें घाट के रास्ते या गली के रास्ते, आप ना चल पायेंगे कहिये तो हम ले आए हर दूसरे तीसरे दिन पहुच जाते हैं |
अब कहा चला याए, लस्सी पीजियेगा
कौन सी, हाँ जी कौन सी !
रविदास गेट की पहलवान लस्सी’
या रामनगर की रबड़ी दार लस्सी,
या वो जो विदेशीयों को खूब भाती हैं, Blue लस्सी, 
सही सुना आपने ! Blueberry लस्सी, Apple banana chocolate लस्सी, या Pinapple लस्सी, 
सही सुना आपने नाम लेते जाई पचासों तरह की लस्सी बनाते हैं ये |
काफी भीड़ होती हैं यहाँ, आपको खड़ा हो के पीना पड़ सकता हैं सड़क पे, हाँ मगर Free WiFi देता हैं ये |


ठंडाई तो हम भूल ही गए, वैसे तो कई दुकाने हैं गदौलिया चौराहे पे,
पर मेरी खास चर्च के पीछे हैं, रंगीन पीजियेगा या सादी
नहीं समझे भोलेनाथ का प्रसाद भांग लेंगे या नहीं, 
नहीं, चलिए कोई बात नहीं |


मीठा बहोत हो गया ना,
चलिए चाट हाँ मशहूर बनारसी चाट खिलाए,
काशी चाट भंडार, दीना चाट भण्डार और केशरी चाट भण्डार |
मै दीना चाट भंडार पे खाना पसंद करता हूँ, नारियल बाजार में हैं ये चौक पुलिस स्टेसन के पीछे, क्या खाइएगा फुलकी(पानी पूरी), टमाटर चाट या दही बड़े |


अब चलिए ले चलता हूँ आपको जन्नत में, घबराई नहीं जान नहीं देनी होगी
ठठेरी बजार चलाना होगा बस, मेरे लिए यह जगह जन्नत से कम नहीं, जन्नत इसलिए की यहाँ जो चीज खाइए एक से बढकर एक, अमृत भी कह सकते हैं, ये गली स्वादों से भरी हैं |
सुबह लाया होता तो आपको, The राम भंडार प्रसिद्ध छोटी कचौरी, पूरी कचौरी खिलाया होता मजा आ जाता, इस वक्त आपको समोसा छोला मिल जाएगा |


चिंता ना करे अभी भी कोई कम आनंद नहीं आने वाला, वो दिख रहा हैं आपको जो सफ़ेद मकान से सटा के टेबल पे कुछ बेच रहा हैं, जानते वो मकान किसका हैं ! भारतेंदु हरिश्चन्द्र जी का हिंदी के बहुत बड़े कवि थे, उन्हें आधुनिक हिंदी साहित्य का पितामह भी कहा जाता हैं |


अब आइए इस दूकान पे, पलंग तोड़ रबडी कभी खाई हैं, Sandwich रबड़ी भी कहते है इसे, ये खाने के बाद कुछ अच्छा नहीं लगेगा, ये आखिर में खाएँगे |
थोड़ा आगे एक खास दुकान हैं, “श्री लक्ष्मी गोरस भंडार” दो तीन चीज़े ही बनाते हैं ये,
और रात नौ बजते बजते सब खतम भी हो जाती हैं |
मालई पूरी खाई है कभी, अरे मलाई पूरी से ही पेट भरेंगे क्या !
इनकी रबड़ी का जवाब नहीं हैं वो कौन खायेगा ? 
इस राबड़ी के लिए हम जान दे भी सकते हैं और ले भी सकते हैं |
कलाकंद भी हैं खा लिजिये ये स्वाद कही और ना मिलेगा |


ठंडी में आए होते तो मलइयो भी खिलाते आपको, ठंडी में ही मिलती हैं वो बस |


कहाँ कहाँ चल दिए जनाब ! एक स्वाद तो आप भूल ही गए,
बनारसी स्वाद अधूरा हैं इसके बिना
बनारसी पान कौन खायेगा ?आत्मा तृप्त न हो जाए तो बोलिए, चलिए मुह खोलिए |


चलिए अब चलते हैं, अब अगली बार मिलेंगे, किसी और शहर की गलियां, नुक्कड़ चौराहे छानेंगे |


: शशिप्रकाश सैनी 


पी.एस : मैंने जितना बनारस जिया, जितना बनारस चखा, बस वही साँझा कर पा रहा हूँ, अभी बनारस को जीने और चखने को बहुत कुछ बाकी हैं, आशा करता हूँ, बाबा विश्वनाथ मुझ पर कृपा बनाए रखेंगे | 


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Friday, August 2, 2013

Rufous Treepie (Birds in BHU)


The Rufous Treepie (Dendrocitta vagabunda) is a treepie, native to the Indian Subcontinent and adjoining parts of Southeast Asia.
It is a member of the Corvidae (crow) family. It is long tailed and has loud musical calls making it very conspicuous. It is found commonly in open scrub, agricultural areas, forests as well as urban gardens. Like other corvids it is very adaptable, omnivorous and opportunistic in feeding.

Tuesday, July 30, 2013

Indian Chat Pair (Birds in BHU)


The Brown Rock Chat or Indian Chat (Cercomela fusca) is a bird in the chat (Saxicolinae) subfamily and is found mainly in northern and central India . It is often found on old buildings and rocky areas.

Sunday, July 28, 2013

Birds in BHU Hoopoe


The Hoopoe is widespread in EuropeAsia, and North Africa, Sub-Saharan Africa and Madagascar.
The Hoopoe was chosen as the national bird of Israel in May 2008 in conjunction with the country's 60th anniversary.

Friday, July 26, 2013

Red Whiskered Bulbul (Birds in BHU)




The Red-whiskered Bulbul is a passerine bird found in Asia. It is a member of the bulbul family. It is a resident frugivore found mainly in tropical Asia. It has been introduced in many tropical areas of the world where populations have established themselves.
It gets its name from the red whisker patch located below its eye.

Local names include Turaha pigli-pitta in Telugu, Sipahi bulbul in Bengali, Phari-bulbul/Kanera bulbu in Hindi.

Wednesday, July 24, 2013

Birds in BHU Brown Rock Chat




The Brown Rock Chat or Indian Chat (Cercomela fusca) is a bird in the chat (Saxicolinae) subfamily and is found mainly in northern and central India . It is often found on old buildings and rocky areas.

Birds in BHU Magpie Robin


The Magpie Robin. Probably the most intelligent bird. scientists think it has consciousness.

Magpie Robins are actually known to look into a mirror and understand that it is an image they are looking at and start to groom themselves.

Information taken from BIRDS AND THE THEORY OF MIND

Tuesday, July 23, 2013

Birds in BHU Straling(मैना)


मैनेजमेंट हॉस्टल में मेरे कमरे के बाहर बैठी मैना

Monday, July 22, 2013

Peacock Birds in BHU


काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की खूबसूरती बढ़ता
राष्ट्रीय पक्षी मोर 
जहा तक मैंने सुना हैं 
यहाँ मोर सांपो पे नियंत्रण पाने के इरादे से छोड़े गए थे 

Friday, July 19, 2013

Wednesday, July 17, 2013

Bird in front of Management Hostel BHU


जैसा की आप देख सकते हैं
कशी हिन्दू विश्वविद्यालय सिर्फ छात्रो का बसेरा नहीं
बल्कि यहाँ कई परिंदे और पशु  भी बसते हैं 

Friday, July 12, 2013

गंगा आरती दशाश्वमेध घाट


गंगा आरती दशाश्वमेध घाट

खाक भी जहाँ की पारस हैं उसका नाम बनारस हैं 

Saturday, June 29, 2013

A piece of Art from Arts Faculty Students BHU




चेहरा ये पसंद आए न आए 
पर असलियत ये भी है

कला संकाय के छात्रो की 
कला का एक अद्भुत नमूना

Sunday, June 23, 2013

Sharing my knowledge about Varanasi with tourist




बनारस की जानकारी सैलानियों से साँझा करता मै

कचौड़ी गली और जलेबी भी ली 
ठठेरी बजार में रबड़ी मिली 
काजू गजक ने मिटाई कसक 
जिसकी तमन्ना गजक 
केदार घाट की सीडी लपक 
चाट चटोरे 
शहर के बटोरे 
नारियल बाजार में सब मिलो रे 
स्वाद मैंने चखे 
थोड़ा तुम भी चखो रे
नाव गई गंगा में खाने हिलोरे 
गर कही न मिलू
घाट है चेत सिंह
मुझे वही मिलो रे 

घाटो पे सुबह सुहानी
गलियों की शाम दीवानी
तो क्यों पालू चिंता क्यों पालू तनाव 
खिड़की में गंगा गंगा में नाव 


: शशिप्रकाश सैनी 

Wednesday, June 19, 2013

Yeh Mumbai Hai meri Jaan



ये मुबई है मेरी जान 
थोड़ी सी बरसात भी कर दे परेशान
लोकल डूबे
सड़को पे चलना न आसान 
पर नहीं की उड़ पाए
मछली नहीं की तरे
बी एम् सी भूली समुन्दर के न प्राणी हम 
तरे कैसे हम तो है इंसान 

: शशिप्रकाश सैनी 

Tuesday, June 18, 2013

झमाझम बरसात



कुछ यूँ रहे मेरे छत के हालात 
झमाझम बरसात
बुँदे थिरकने लगी 
कड़कती बिजिलियो के साथ 
झमाझम बरसात




Sunday, June 2, 2013

Ganga and Ghat in Night




मन के मुताबिक मैंने 
जम के जी काशी देखी

Thursday, May 23, 2013

Sunrise Last Day in Banaras


May 1st was my last day in Banaras
as my MBA was over i had to leave BHU
I enjoyed banaras to the fullest
Here i wrote 260+ poems in 20 months
Clicked 127 Gb photos in general
and 30 Gb photos of 
Ghat Chaat Galiya aur Ganaga

I published my 1st Book of Poems 'सामर्थ्य'
All credit goes to Banaras and BHU
The anthology begins with an ode to Kashi called 'Kashi Zara Si '
And ends with 'Kashi Na Chhodi Jaye'

Soon i will come up with my Photography book
Titled 'Kashi Zara Si: A Little Bit of Banaras'
Because no camera no poem can give u 
Total Banaras experience
Untill you come here and feel yourself
Thats why Kashi Zara Si