नव भाचित्रक
Saturday, August 11, 2012
अधिकार मेरा नभ पर होना
गर कंधों पे है पर होना
अधिकार मेरा नभ पर होना
उड़ जाएँगे कोना कोना
अधिकार मेरा नभ पर होना
जल पे थल पे और अचल पे
मै मर्ज़ी का मालिक हू
चल आ छितिज तक दौड लगा
हम नापेंगे कोना कोना
अधिकार मेरा नभ पर होना
: शशिप्रकाश सैनी
2 comments:
AmitAag
August 11, 2012 at 12:35 AM
...bahut sunder!
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Shashiprakash Saini
July 12, 2013 at 8:58 PM
Thnx Amit ji
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...bahut sunder!
ReplyDeleteThnx Amit ji
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