बनारस की जानकारी सैलानियों से साँझा करता मै
कचौड़ी गली और जलेबी भी ली
ठठेरी बजार में रबड़ी मिली
काजू गजक ने मिटाई कसक
जिसकी तमन्ना गजक
केदार घाट की सीडी लपक
चाट चटोरे
शहर के बटोरे
नारियल बाजार में सब मिलो रे
स्वाद मैंने चखे
थोड़ा तुम भी चखो रे
नाव गई गंगा में खाने हिलोरे
गर कही न मिलू
घाट है चेत सिंह
मुझे वही मिलो रे
घाटो पे सुबह सुहानी
गलियों की शाम दीवानी
तो क्यों पालू चिंता क्यों पालू तनाव
खिड़की में गंगा गंगा में नाव
: शशिप्रकाश सैनी
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