नव भाचित्रक
Tuesday, October 1, 2013
गंगा पार चले
शोर शहर को छोड़ आए
अब की उस ओर जाए
जहाँ ताज़ी बयार चले
चल गंगा पार चले
बहोत चले अब तक
पीछे ही रहे कब तक
अब न उनकी कतार चले
चल गंगा पार चले
: शशिप्रकाश सैनी
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