नव भाचित्रक
Thursday, September 27, 2012
मुर्गे की बांग पे
वो भी क्या दिन थे
मुर्गे की बांग पे
नीद टूटती थी
दादी उठाती थी
लल्ला जागो
अँधियारा छटा है
सूरज रौशनी लिए आया है
सवेरा हो चला है
मुह धोओ
करो स्नान जाके
अम्मा रोटी बनाती है
जाना है तुम्हे स्कूल
निवाले खाके
: शशिप्रकाश सैनी
Sunday, September 9, 2012
idol of lord Vishnu
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