नव भाचित्रक
Sunday, June 17, 2012
आस्था यहाँ जीवनी है
जब भी यहाँ माथा टिकाते है
ईश्वर को दुःख सुख का साथी बनाते है
जब भी उसके घर आते है
आपकी आस्था चूल्हा हो जाती है
कइयो के घर चलाती है
फूल नारियल चुनरी है
आस्था यहाँ जीवनी है
: शशिप्रकाश सैनी
इच्छाओ के कबूतर
गर आज किसी दिवार पे बैठा
है
दुनिया बदलती देखता है
तो मन
उसका
भी
हज़ार खवाब बुनता है
है कबूतर मन
की मर्ज़ी पे उडाता है
इच्छाए दाना
ये कबूतर मन दाना चुनता है
हज़ार खवाब बुनता है
: शशिप्रकाश सैनी
Saturday, June 16, 2012
जरा पंख सुखने दो
मेरे जज्बे की पहचान देखाना
जरा पंख सुखने दो
फिर मेरी उड़ान देखना
कड़कती बिजलीया बरसात है
उड़ना मुश्किल है मानता हू आसान नहीं
परिंदा हू उड़ना मेरी आदत है
बैठना मेरे लिए कोई समाधान नहीं
: शशिप्रकाश सैनी
Monday, June 4, 2012
Girgoan Chowpatty (View frm Malabar hill)
Saifee Hospital @ night
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