Saturday, June 16, 2012

जरा पंख सुखने दो




मेरे  जज्बे की पहचान देखाना 
जरा पंख सुखने दो 
फिर मेरी उड़ान देखना 
कड़कती बिजलीया बरसात है 
उड़ना मुश्किल है मानता हू आसान नहीं 
परिंदा हू उड़ना मेरी आदत है 
बैठना मेरे लिए कोई समाधान  नहीं

: शशिप्रकाश सैनी 

1 comment:

  1. Shashi, baarish ka intezaar aasaan ho gaya aapki 'bijaliya barsat' ki kalpna karke:) ...sunder kavita:)

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