Thursday, July 5, 2012

प्रयाग राज





वो लकीर जो नावों की दिख रही है
वो त्रिवेणी संगम है
पाप धोने आना है
तो निरछल हो जाना है
तब पुण्य कमाना है 

: शशिप्रकाश सैनी 

5 comments:

  1. मुझे तो इलाहाबाद के अपने दिन याद आ गएँ...संगम, किला, हनुमान मंदिर, सिविल लाइंस, कटरा, रेलवे स्टेशन..

    ReplyDelete
  2. वाह...सुन्दर फोटो के साथ खूबसूरत पंक्तियाँ भी....
    ये ब्लॉग भी बेहतरीन.

    अनु

    ReplyDelete
  3. धन्यवाद अल्का जी , सोलो , अनु जी

    ReplyDelete
  4. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete