Monday, January 14, 2013

पतंग बाजी 1



जंग छिडेगी छत छत पे 

वो पतंग उडाए डट के

वो नज़र लड़ाए हट के
ध्यान न तेरा भटके 
कही गीर न जाए कट के 
न गगन मिला 
न खेत
मुझको पूरा खेद 
राह से थोड़ा भटके 
अब पडो पे ये लटके

: शशिप्रकाश सैनी 



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