Tuesday, January 22, 2013

ठहरी दिल की गिलहरी



रोके रुके क्यों
क्यों माने तेरी
धड़कन तो धड़कन है जी
दिल की चले बस मर्जी
डाली से डाली कूदे
दिल का पाता जी पूछे
कब तक छुपा के देखो
बाहों में आके देखो
दिल की गिलहरी मेरी
दिल की गिलहरी तेरी
डिंगे लड़ा के देखो
रोके रुके ना
ना मानें मेरी
ठहरी दिल की गिलहरी


: शशिप्रकाश सैनी

2 comments:

  1. Hi Shashi,

    Awesome click of the creature. Perfect composition. :) Loved it.
    Beautiful lines as well, comparing the gilehri to the ever wandering heart.
    Superb post Shashi, keep it up :)

    P.S. Do check out my entry for Get Published.

    Regards

    Jay
    My Blog | My Entry to Indiblogger Get Published

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