ठहरी दिल की गिलहरी
रोके रुके क्यों
क्यों माने तेरी
धड़कन तो धड़कन है जी
दिल की चले बस मर्जी
डाली से डाली कूदे
दिल का पाता जी पूछे
कब तक छुपा के देखो
बाहों में आके देखो
दिल की गिलहरी मेरी
दिल की गिलहरी तेरी
डिंगे लड़ा के देखो
रोके रुके ना
ना मानें मेरी
ठहरी दिल की गिलहरी
: शशिप्रकाश सैनी
Hi Shashi,
ReplyDeleteAwesome click of the creature. Perfect composition. :) Loved it.
Beautiful lines as well, comparing the gilehri to the ever wandering heart.
Superb post Shashi, keep it up :)
P.S. Do check out my entry for Get Published.
Regards
Jay
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Dhanywaad Jay
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