सड़क पे पड़ी पत्तियां बताती हैं
इस राह अब कोई भीड़ नहीं आती
हवाएं आज भी चलती, टहनियाँ हिलाती
अमौरी तोड़ने अब बच्चे नहीं आते
पुराने लोग कहते हैं, कभी रौनक
यहाँ भी थी
आज कोई हैं तो एक भूली हुई काकी
: शशिप्रकाश सैनी
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सामर्थ्य
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